…तर सन्मान लढून मिळवावा लागेल; शीतल करदेकर
सुनो द्राैपदी ! शस्त्र उठालो,अब गोविंद ना आएगे, छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो,खुद ही अपना चीर बचा लो, द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,…मस्तक सब बिक जाएंगे, सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे, कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो, दुःशासन दरबारों से, स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैंवे क्या […]
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